Thursday, November 18, 2010

आखिर हमारा देश चल कैसे रहा है?


आप सबने राजधानी दिल्ली में हुए ५ मंजिला इमारत हादसे को तो सुना ही होगा...? किसे ज़िम्मेदार ठहराया जाये  इन सब के लिए? ईमारत के मालिक,नेताओं,पुलिस,...आखिर किसे? रोज़ नए नाम सामने आयेंगे,नयी फ़ाइलें बनेंगी,....और फिर होगा क्या......आप कब इससे वाकिफ है| हिम्मत कहें तो उनकी है,जो ७२ घंटों के बाद भी यही आस लिए बैठे है,शायद कोई अपने की खबर मिले....खबर चाहे जैसी भी हो,सब झेलने को तैयार है| सर्दी की बारिश में भी अपनी जगह से नहीं हिल रहे| कितने घर ख़तम हो गए इस हादसे में....कोई अपने ही परिवार के ८ सदस्यों को जला कर आ रहा है तो एक १० साल का बच्चा अचानक ही अपने परिवार मैं सबसे बड़ा हो गया,जिसके सर पर अपने २ छोटे भाई-बहेन की ज़िम्मेदारी है|
रोज़ नए नए घोटाले,"कॉमन वेल्थ,आदर्श सोसाइटी,रुचिका केस..." और आज एक और नयी बात सुनी "भारत पहले नो. पे है,जिसका सबसे ज्यादा काला धन स्विस बैंक में है(६५,२२५ अरब),(हर साल तकरीबन देश के हर नागरिक को २,००० रुपये,३० साल तक मिलें तो बनता है इतना रूपया|
ठोक बजाकर ये तो हम कह देते हैं,"इंडिया इस डेवेलोपिंग कंट्री".......पर शिक्षा बजेट से ६ गुना ज्यादा "२ ग" घोटाला है| 
नेहरु जी ने कहा था "घूसखोरों को बिजिली के खम्बों के साथ बांधकर मारना चाहिए" पर शायद खम्बे ही कम पड़ जायेंगे| 
"आखिर हमारा देश चल कैसे रहा है? सब हमारे सामने है......कौन करप्ट नहीं है....|
"उनको श्रधांजलि  अर्पित करता हूँ, जिन्होंने दिल्ली इमारत हादसे में अपनी जान गँवाई|"
"WHAT IF OUR INDIA WILL BE..




7 comments:

  1. शर्म हमको मगर नहीं आती।
    चिंता जायज है, और इस उम्र में ऐसे विचार, भविष्य इतना खराब नहीं है हमारे देश का।
    बहुत अच्छा लिखा है, अंकित।

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  2. bilkul sahi likha hai aapne... aapki chinta lazmi hai...

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  3. बहुत बेशर्मी की बात है|

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  4. सही कहा दोस्त। अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"

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  5. BAAS Voice का आमंत्रण :
    आज हमारे देश में जिन लोगों के हाथ में सत्ता है, उनमें से अधिकतर का सच्चाई, ईमानदारी, इंसाफ आदि से दूर का भी नाता नहीं है। अधिकतर तो भ्रष्टाचार के दलदल में अन्दर तक धंसे हुए हैं, जो अपराधियों को संरक्षण भी देते हैं। इसका दु:खद दुष्परिणाम ये है कि ताकतवर लोग जब चाहें, जैसे चाहें देश के मान-सम्मान, कानून, व्यवस्था और संविधान के साथ बलात्कार करके चलते बनते हैं और किसी को सजा भी नहीं होती। जबकि बच्चे की भूख मिटाने हेतु रोटी चुराने वाली अनेक माताएँ जेलों में बन्द हैं। इन भ्रष्ट एवं अत्याचारियों के खिलाफ यदि कोई आम व्यक्ति, ईमानदार अफसर या कर्मचारी आवाज उठाना चाहे, तो उसे तरह-तरह से प्रता‹िडत एवं अपमानित किया जाता है और पूरी व्यवस्था अंधी, बहरी और गूंगी बनी रहती है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आज नहीं तो कल, हर आम व्यक्ति को शिकार होना ही होगा। आज आम व्यक्ति की रक्षा करने वाला कोई नहीं है! ऐसे हालात में दो रास्ते हैं-या तो हम जुल्म सहते रहें या समाज के सभी अच्छे, सच्चे, देशभक्त, ईमानदार और न्यायप्रिय लोग एकजुट हो जायें! क्योंकि लोकतन्त्र में समर्पित एवं संगठित लोगों की एकजुट ताकत के आगे झुकना सत्ता की मजबूरी है। इसी पवित्र इरादे से भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की आजीवन सदस्यता का आमंत्रण आज आपके हाथों में है। निर्णय आपको करना है!
    http://baasvoice.blogspot.com/

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  6. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए आपको शुभकामनाएं !!

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  7. अच्छी पोस्ट ...ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है ...शुभकामनायें
    चलते -चलते पर आपका स्वागत है

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